फरवरी यानी माह ए मोहब्बत..

फरवरी यानी माह ए मोहब्बत..दुनिया भर के प्रेमियों को इस महीने का इंतज़ार बेसब्री से रहता है. दो प्रेमी अपनी प्रेम की कोपलों के खिलने का ख्वाब सजाए फरवरी के आने का इंतजार करते हैं. भारत में भी इस ख्वाब को आंखों में सजाने वालों की कोई कमी नहीं है. भले ही उनपर लट्ठ बरसे या ताने उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.

मोहब्बत और मोहब्बत के दुश्मनों का वजूद हमेशा से एक साथ चलता आया है. संगीनों के साये में मोहब्बत के जवां होने के किस्सों को कौन नहीं जानता होगा!

यूँ तो प्रेम को कई रूपों में बांटा गया है लेकिन प्रेम ने लोगों को  हमेशा से जोड़ने का काम किया है. भारत भले ही खुद के आधुनिक और विकसित होने की गफलत में जी रहा हो लेकिन हकीकत इससे परे है. मेट्रो पॉलिटन शहरों को छोड़ दें (हालांकि अपवाद यहां भी मिल ही जाते हैं) तो दो लोगों के प्रेम को किसी बड़े गुनाह से कमतर नहीं आंका जाता है. हैदराबाद के प्रणय और अमृता की प्रेम कहानी का दुखद अंत भुलाया नहीं जा सकता है. भारत में ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाओं से किसे इंकार होगा!

जाति-धर्म और अहम मे बंटे देश में आज़ाद मोहब्बत का ख्वाब पालना चाँद पर उड़कर जाने के ख्वाब को हकीकत बनाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है..

मोहब्बत को मोहब्बत न रहने देने में लगे भारतीय समाज को अपने प्रेम से कोई दिक्कत नहीं होती.. हर किसी की आंखों में ये ख्वाब जरूर पलता है लेकिन खटकता दूसरों का प्यार है.

ऐ माह ए मोहब्बत! तुम फिर भी हर बार आते रहना और कभी न धुलने वाली खुशबू देकर जाना अगली बार फिर से अपनी भीनी-भीनी खुशबू के साथ आने के लिए! 

माह ए मोहब्बत! माह ए सुकून! माह ए इबादत! तुम यूं ही आते रहना लेकिन कभी यूं ही मत जाना.. तुम्हारा आना हर बार एक बड़ी उम्मीद लेकर आता है. तुम्हारा आना कइयों की हसरत को पूरा करने के लिए है.. तुम्हारा आना सच का आईना भी दिखाता है.. सच जो किसी प्रेम भ्रम की काट बनता है..

माह ए मोहब्बत को मेरा सलाम..

टिप्पणियाँ

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  2. प्रेम के शत्रु और उसे समाप्त करने या अस्तित्व में आने से रोकने का प्रयास करने वाले यह भूल जाते हैं कि प्रेम किया नहीं जाता, स्वत: ही होता है । इसलिए वे प्रेमियों को तो समाप्त कर सकते हैं, प्रेम को नहीं । प्रेम है, इसीलिए यह सृष्टि है । फ़रवरी माह वसंत ऋतु का माह है और वसंत तो है ही प्रेम के लिए । काश संसार के किसी भी प्रेमी-युगल को कभी विछोह न सहना पड़े ! काश सभी प्रेमी-युगल सदा के लिए एक हो सकें ! कितनी अजीब बात है कि भारत में नफ़रत करने की सबको खुली छूट है, प्रेम करने की नहीं । बहुत अच्छे विचार हैं आपके । बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है आपकी । और बहुत अच्छा लेख है आपका बीना जी । हार्दिक अभिनंदन ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद माथुर जी ..कहीं न कहीं मुझे ब्लॉग लिखने की प्रेरणा आप से ही मिलती है .

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