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'शिक्षा के साथ ऐसी बेरुखी! ऐ साहेब ये ठीक नहीं....'

जुलाई का महीना शुरू होते ही समाज में एक नए तरह का माहौल देखा जाता है. कन्धों पर सजे स्कूल बैग लिए नौनिहालों से लेकर कॉलेज/यूनिवर्सिटी जाता देश का नया वर्तमान और भविष्य एक नई ही फ़िज़ा बांध रहा होता है. कॉलेज/यूनिवर्सिटी में अपने नए भविष्य का सपना संजोये जब युवक-युवतियां अपने आज से ही उसे हकीकत में उतारने की कोशिशों में लग जाते है तो यह किसी भी देश के लिए शुभ का संकेत ही होता है. ऐसे में जब इसी आज के भविष्य पर किसी खास विचारधारा को थोपने और न मानने पर उन्हें जेल भेजा जाने लगे तो यक़ीनन यह देश की प्रगति और भविष्य के साथ खिलवाड़ किये जाने जैसा है. दुर्भाग्य यह है कि आज छात्र-छात्राओं की सोच-समझ को कुछ इस तरह से घेरने का प्रयास किया जा रहा है जिससे उनमे स्व विवेक के पैदा होने और उसका विकास होने के सभी रास्ते बंद किये जा सके. वर्ष 2014 से पहले शिक्षा पर राजनीति का इतना ज़्यादा प्रभावीकरण नहीं था जितना कि उसके बाद के दौर में देखा गया है. हैदराबाद यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ सरकारी व प्रशासनिक अभियान जेएनयू से होता हुआ दिल्ली यूनिवर्सिटी, जाधव यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ विश

मदनलाल सैनी के जरिये क्या वसुंधरा पर शिकंजा कस पाएंगे अमित शाह ?

शनिवार को जब मदनलाल सैनी को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया तब एक साथ कई राजनीतिक पेंचों को संतुलित करने की कोशिश की गई. 17 अप्रैल को जबसे अशोक परनामी को राज्य बीजेपी के अध्यक्ष पद से उठाकर बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया था तबसे राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष का पद रिक्त ही चला आ रहा था. बीच में जब गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार किया गया तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उस पर वीटो कर दिया.  बाड़मेर में गैंगेस्टर चतुर सिंह के एनकाउंटर के बाद से गजेंद्र सिंह शेखावत और वसुंधरा के बीच की तल्खियां तब खुल कर सामने आई जब गजेंद्र ने मामले की सीबीआई जाँच की मांग कर दी. इस बात से यह तो साफ़ हो गया कि बीजेपी के रसूखदार नेता गजेंद्र और मुख्यमंत्री के बीच सब कुछ ठीक तो नहीं है. यहाँ पर सरकार के पुलिस तंत्र पर गजेंद्र का सवाल उठाना मुख्यमंत्री पर सवाल उठाने जैसा था जिसके बाद वसुंधरा और गजेंद्र में एक शीतयुद्ध जैसा माहौल देखा गया. 2016 में मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर राजस्थान में एक रैली हुई जिसमे गजेंद्र ने केंद्र सरकार की जमकर त

अस्मत पर भारी पड़ रही सियासत, मंदसौर बलात्कार पर बेटी को कैसे मिले इंसाफ ?

26 जून को मंदसौर में एक सात साल की बच्ची की अस्मत लूट ली गई. अभी वह इंदौर के एक अस्पताल में जिंदगी हुए मौत के बीच झूल रही है. शरीर पर बेदर्दी और दरिंदगी के निशान लिए वह मासूम अपने साथ हुए जघन्य अपराध पर न्याय मांग रही है. पुलिस के पास मामले का केस दर्ज है और दो आरोपी इरफ़ान और आसिफ जेल में हैं. सोशल मीडिया पर बलात्कार आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग हो रही है. कानून ताक पर है और कानून निर्माता बलात्कार के मामलों पर जम कर सियासत कर रहे हैं. बीजेपी के मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता मंदसौर की उस बेटी के घर पहुंचे जिसके साथ यह जघन्य अपराध हुआ है. सियासत की दरिंदगी यहाँ भी जारी है, बीजेपी के इंदौर विधायक सुदर्शन गुप्ता पीड़िता के परिवार से चाहते हैं कि वे सांसद सुधीर गुप्ता का धन्यवाद करें क्योंकि वह उनसे मिलने आए. कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मामले की जाँच सीबीआई को सौंपने की मांग की है. सियासत में गन्दगी यहाँ से शुरू नहीं हुई है. यह अस्मत से खिलवाड़ और उस पर सियासत अक्सर होती रही है. निर्भया, कठुआ, गाज़ियाबाद, इंदौर, हरियाणा, लखनऊ और अब मंदसौर... सियासत अपनी धार चमकाने स