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टैक्स कौन-कौन देता है?

रिलायंस नवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयर ने 9 सितम्बर के बाद से अब तक 600 प्रतिशत मुनाफे की छलांग लगाई है। 9 सितम्बर को इस कंपनी के एक शेयर का दाम 95 पैसा था जो 26 नवंबर को बढ़कर 7.31 रुपये हो गया। इससे पहले 3 सितम्बर की मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से रिलायंस नवल पर सात हज़ार करोड़ का कर्ज था जिसे चुकाने में रिलायंस ने असमर्थता जाहिर की थी। कंपनी ने कहा था कि IDBI ने जुलाई में उसे और ऋण नहीं दिया और कंपनी घाटे में चल रही है जिसकी वजह से वह अपने कर्जदाताओं को ऋण नहीं चुका सकती। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में कंपनी ने कहा था वैश्विक स्तर पर शिप बिल्डिंग में काफी उतार है जिसकी वजह से उसने सरकार से रक्षा सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' के तहत सहायता करने का आग्रह किया था। जिसके बाद तोहफे में उसे सोलह सौ करोड़ की रफाल डील कंपनी की झोली में आ गिरी थी। हालिया घटनाक्रम में समझना यह है कि एक दिवालिया होती कंपनी के शेयर में अचानक छह सौ प्रतिशत का उछाल कैसे आया? रिलायंस की ही एक कंपनी Rcom पहले से दिवालिया घोषित की जानी हैै। अनिल अम्बानी ने Rcom से इस्तीफ़ा दिया लेकिन वह बोर्ड ने स्वीकार

बीमार बीएसएनएल को जल्दी बचाओ सरकार!

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7 नवंबर को केरल के मलप्पुरम जिले से एक खबर आई , चूँकि वह सरकार की तारीफ नहीं बल्कि नाकामी की खबर थी , इसलिए देश के अख़बारों और प्रमुख न्यूज़ चैनलों की हैडलाइन नहीं बन सकी। यह खबर थी , सरकार द्वारा संचालित बीएसएनएल के चतुर्थ श्रेणी के संविदा कर्मी रामकृष्णन के 10 महीनों से मानदेय न मिलने की वजह से परेशान होकर दफ्तर में ही फांसी लगाकर ख़ुदकुशी करने कर लेने की। यूनियन नेताओं का कहना था कि संविदा कर्मचारियों को पिछले 10 महीनों से मानदेय नहीं मिला है और वे पिछले 24 जून से , सीटू से संबद्ध बीएसएनएल कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट लेबर यूनियन ( CCLU) के तहत कर्मचारी लंबित वेतन के भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन पर हैं। इससे पहले 23 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड यानी एमटीएनएल का विलय करने कि घोषणा की। इस घोषणा में कहा गया कि घाटे में चल रही दो दूरसंचार कंपनियों को फिर से ढर्रे पर लाने के लिए 69,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज दिया जाएगा। इसी घोषणा में कहा गया कि कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का प्रस्ताव है। इस सबके बीच नवीनतम अपडेट

साइबर अपराधियों के शिकंजे में डिजिटल दुनिया

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बीता हफ्ता पूरी तरह से साइबर अपराध से जुड़ी खबरों के नाम रहा। शुरुआत हुई भारत के सबसे लम्बे न्यूक्लियर पावर प्लांट , कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट के कंट्रोल सिस्टम में मालवेयर पाए जाने की खबर से। 28 अक्टूबर को जाने माने साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर पुखराज सिंह ने एक रिपोर्ट से सनसनी फैला दी जिसमे जब उन्होंने दावा किया कि उनके हाथ एक डाटा लगा है जो बताता है कि भारत के सबसे नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र को हैक कर लिया गया है। पहले भारत सरकार की तरफ से इंकार किया गया तब तक दुनिया भर के साइबर शोधकर्ताओं ने डेटा की तलाश शुरू कर दी। बाद में यानी 30 अक्टूबर को न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( NPCL) ने कुडनकुलम प्लांट के प्रशासनिक कंप्यूटर में मालवेयर पाए जाने की पुष्टि की। हालाँकि NPCL ने किसी भी तरह के नुकसान की आशंका को सिरे से ख़ारिज कर दिया लेकिन इस बात को कैसे ख़ारिज किया जा सकता है कि भारत के प्रतिष्ठित परमाणु प्लांट के कंट्रोल सिस्टम में मालवेयर की मौजूदगी ने भारत सरकार की साइबर सिक्योरिटी में सेंध लगा दी है। इस बार समय से उसका पता लगा लिया गया लेकिन अगली बार ऐसा न होने की गारंटी कौन