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अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मत भटकाओ क्योंकि हम भटकने वाले नहीं हैं योगी जी...

योगी ने आज अयोध्या में 1.75 लाख दिये जलाकर गिनीज़ बुक में अपना नाम दर्ज करवा लिया.. वाह क्या बात है, सीना 56 से 156 इंच वाला हो गया होगा योगी जी का... फिलहाल यह वही योगी आदित्यनाथ हैं जिनके गोरखपुर के एक मेडिकल कॉलेज में मासूम इसलिए मर गए क्योंकि इस अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं था और ऑक्सीजन इसलिए नहीं था क्योंकि उसके पैसे नहीं चुकाए गए थे.. योगी जी, ये रिकॉर्ड भी आपके ही नाम पर दर्ज है कि गोरखपुर में के सबसे बड़े मंदिर के मठाधीश होने के बावजूद आप गोरखपुर में वर्षों से इंसेफेलाइटिस  से हो रही हज़ारों मौतों को रोक नहीं पाये, उस पर आपका रोना यह रहता है कि क्या करें सरकार ने बजट नहीं मुहैया करवाया ! कमाल है, आप तो वहां से चार बार से सासंद भी रहे, फिर भी आप कुछ नहीं कर सके अब तक! सत्ता में आने के तुरंत बाद से ही राम नाम की रोटियां सेंकना बंद कीजिये आप! और ध्यान दीजिये उन मुद्दों पर जिनके कारण यूपी ने आपको 5 कालिदास मार्ग पहुँचाया है.. या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि ये बारह हज़ार लीटर तेल का अपव्यय कर आप ताज महल के निर्माण में हुए खर्च की कोफ़्त आज की जनता पर उतर रहे हैं!

एक और नया साल, पर जारी हैं पुरानी धारणाएं….

वर्ष 2017 अपनी नवीनता की चौखट पार कर चुका है। धीरे-धीरे नए वर्ष पर लिए गए संकल्प अपनी दृढ़ता पर टूटने की कगार पर जा पहुंचे हैं। पांच राज्यों का आगामी चुनाव और उसका यौवन चरम पर है। सभी राजनीतिक दल गुण्डाराज, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, अर्थ व्यवस्था में सुधार जैसे बड़े-2 मुद्दों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने को कटिबद्ध खड़े हैं। वर्ष 2017 अपनी यादें इरादे एवं आगामी वर्ष के लिए कुछ और वादों के साथ तैयार हैं। इस रूमानियत के बीच पहली जनवरी के पदार्पण के तुरंत बाद ही सिलिकन वैली में कुछ ऐसा घटा जिसने इसकी नवीनता पर फिर से प्रश्नचिह्न लगा दिया। हुआ यह कि 31 दिसंबर की रात बेंगलुरू में एम.जी. रोड व ब्रिगेड रोड पर नए साल का जश्न मनाया जा रहा था। तमाम लड़के-लड़कियां इस जश्न में शामिल हुए थे। इसी बीच जश्न में शामिल लड़कियों पर कुछ लड़कों ने फब्तियां कसीं। पहले इन फब्तियों को नज़र अंदाज किया गया। लेकिन जब अभद्रता का स्तर बढ़ गया तो लड़कियों ने लड़कों की इन बद्तमीजियों को रोकने का प्रयास किया। यह प्रयास असफल रहा तब वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों जिनमें कुछ महिला पुलिस कर्मी भी थीं से मदद की गुहार की

अपने हक पर चुप्पी क्यों?

आज सुबह-सुबह गुंजन ने नाश्ते की टेबल पर आलू का परांठा रखा देखा तो तमतमा गई। लगभग चीखते हुए बोली-"मम्मी कितनी बार कहा है कि मुझे हल्का नाश्ता दिया करो, लेकिन आप जब देखो आलू के पराठे ही बनाकर रख देते हो।" इतना कहकर मुंह बनाते हुए गुंजन कालेज चली गयी। इससे पहले भी वह अपने कपड़ों को लेकर मम्मी पर चिल्ला चुकी थी।  इसी तरह एक दूसर वाकया भी है। सीमा अपनी जीवनशैली और रहन-सहन को लेकर किसी भी तरह का समझौता पसंद नहीं करती थी लेकिन जब उसकी शादी उसके माता-पिता ने कम योग्य लड़के से तय की, तो वह चुप रही। सीमा को जानने वाले सभी लोग सीमा की इस चुप्पी से हैरान थे। हमारे समाज की ये दो तस्वीरें एक प्रकार से आम जीवनचर्या का हिस्सा हैं। दरअसल अपने तौर-तरीकों और पहनावे तथा खान-पान को लेकर बेहद मुखर लड़कियां स्वयं से कम योग्य लड़के से चुपचाप विवाह के लिए हामी भरती हैं तो आश्चर्य होता ही है। विवाह को समाज का स्थायी स्तंभ माना जाता है। कहा भी जाता है कि विवाह ही समाज व विश्व को पीढ़ी दर पीढ़ी एक स्थायी आलंब प्रदान करता है। विवाह नामक इस संस्था को जारी रखने के लिए आवश्यक है कि जिन दो व्यक्तियों के