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'चलो एक बार फिर से सबकुछ 'समय' पर छोड़कर आगे बढ़ जाएं'

ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी और सरकार का नया मोटर व्हीकल अधिनियम, कोई इत्तेफ़ाक़ तो नहीं लगता! गुरुग्राम में मारुती ने जहाँ बंदी का ऐलान किया है, वहीं मानेसर प्लांट ने भी 2 दिनों में उत्पादन बंद करने के निर्णय लिया है। अब ट्रैफिक चालान की वजह से सड़कों पर या तो गाड़ियां कम दिखेंगी, फिर औसत धनी लोगों की गाड़ियां ही नज़र आएंगी। नई गाड़ियां बिकेंगी नहीं सो वो सड़कों पर दिखेंगी कैसे! और जिसकी नौकरी नहीं बचेगी वह गाड़ी क्या खरीदेगा और पेट्रोल डीजल भरवाएगा कैसे, अगर किसी तरह अपने बचत के रुपयों से दोनों का जुगाड़ कर भी लिया तो ट्रैफिक पुलिस की देनदारी कब तक चुकाता रहेगा?  वैसे मोदी सरकार है बड़ी चतुर! लोगों का ध्यान भरमाया कैसे जाता है, इसे खूब पता है। पहले डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ रहे थे, तब बुद्धिजीवियों ने उस पर बखेड़ा खड़ा किया। फिर दाम में रोज घटोतरी और बढ़ोत्तरी की जाती रही लोग इसके आदी हो गए। सोचा होगा कौन एक ही बात पर रोज बोले? दूसरा मुद्दा ढूंढा गया। नोटबंदी और जीएसटी से जी भर गया था तब ये कोई मुद्दा तो रहा नहीं। तलाश डॉलर पर आकर रुकी। रूपये की कीमत नीचे गिर रही है, नीचे गिर रही है, मुख्यमंत्री