संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या 2019 भारत की न्यायपालिका के लिए यादगार रहा वर्ष ?

चित्र
वर्ष 2019 में जहाँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने तमाम कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए वहीं कुछ ऐसी न्यायिक निष्क्रियता भी दिखी जिसने न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये। हाल के वर्षों में अपने खराब रिकॉर्ड के बाद   2019 में भारतीय न्यायपालिका ने अपने रिकॉर्ड में कई ऐसे पन्ने भी जोड़े जिसमे संवैधानिक नैतिकता और नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति प्रतिबद्धता का टकराव देखा गया। इन सबसे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत के चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों ने जनवरी 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि देश न्यायिक संकट से जूझ रहा है। देश में न्यायपालिका की विश्वसनीय छवि पर गहरा आघात लगा और मुख्य न्यायाधीश की साख सन्देश के घेरे में आती हुई दिखी। हाल में जब नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में पुलिस की बर्बरता के साथ ही पूरे देश में छात्रों के साथ दमनात्मक कार्य