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मई डे यानी मजदूर दिवस : कितना मौजूं मजदूर दिवस ..?

1 मई यानी मजदूर दिवस.. दुनिया भर में विकास की गति जिन दो ध्रुवों पर पर केंद्रित हैं वे हैं मालिक व कर्मचारी. मालिक वो जो किसी उद्यम में अपना दिमाग और धन लगते हैं और कर्मचारी वो जो मालिक के इस विचार को अमलीजामा पहनाते हैं. बदले में कर्मचारी को मालिक की तरफ से एक धनराशि दी जाती है. पढ़ने, देखने और सुनने में ये जितना सरल महसूस हो रहा है इसके उलट यह उतना ही जटिल है. मालिक यानी पूंजीपति अधिक लाभ के फेर में अपने कर्मचारी जिसे मजदूर भी कहा जाता है, से मनमाने तौर पर काम लेता है और बदले में अपर्याप्त यानी योग्यता व कार्य के से कहीं ज़्यादा कम राशि देता है. अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के पीछे यह उद्देश्य था कि कम से कम एक दिन तो मजदूरों की समस्याओं और उनकी महत्त्ता के बारे में दुनिया भर को अवगत करवाया जाए. लेकिन बढ़ती जरूरतों और आगे बढ़ने की होड़ के बीच मजदूर दिवस का यह उद्देश्य धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा है. आज नव उदारवाद युग में जबकि विकास की पूरी प्रक्रिया कॉर्पोरेट ने अपने हाथों में ले लिया है,ऐसे दौर में कॉर्पोरेट में काम करने वाले कर्मचारियों की नैसर्गिक आवश्यकताओं को पूरा कर पाना मुश्किल ह