जब देश में 'ट्रैक्टर' लाने के लिए अपनी ही पार्टी का चुनाव निशान भूल बैठे थे नेहरू!
दुनिया भर में अपने समय और अपने गुजरे दौर के सर्वकालिक नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू उस वक़्त भुखमरी और विभाजन का दंश झेल रहे भारत के खेतों को अधिक अनाज उत्पादन योग्य बनाने का दृढ़ संकल्प लिए देश की कृषि का आधुनिकीकरण करने की दिशा में आगे बढ़ने का विचार कर रहे थे. भुखमरी से निपटने और अन्न की पैदावार बढ़ाने की समस्या से निपटने के लिए वह दुनिया भर के नामी गिरामी कृषि और भोजन प्रबंधन विशेषज्ञों से बातचीत कर रहे थे. अधिक अन्न उपजाने की इस क़वायद में नेहरू को जो मशीन सबसे जरुरी लगी, वह था ' ट्रैक्टर' . नेहरू यह समझ रहे थे कि उपजाऊ जमीनों का एक प्रमुख हिस्सा सिंध और पंजाब बंटवारे के बाद पाकिस्तान जा चुके हैं. ऐसे में अन्न के संकट को फौरी तौर पर दूर करने के लिए एक निर्धारित योजना, प्रबंधन और समय सीमा की बेहद आवश्यकता है. 200 वर्षों से अधिक के समय में अंग्रेजी हुकूमत ने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश की पारम्परिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ कर रख दी थी. लेकिन भविष्यदृष्टा नेहरू ने मौजूदा सरकारों की तरह अपने भूतकाल को कोसने की बजाय आगे चलना तय किया. विदेशी मुद्राओं से खाली राजकोष से भिज्ञ नेहरू