इश्क़ समंदर

'फ़िल्मों में जब समंदर देखती थी तो लगता कि अभी ही सारा नमक मुझ पर आ गिरेगा.. अरे, स्कूल में पढ़ाया गया था ना कि समंदर का पानी खारा होता है और नमक उसी से बनता है. तो बस जब फ़िल्मों में देखती कि लोग उसमें खेल रहे हैं और तमाम ऐडवेंचर कर रहे हैं तो सोचती, कितने खारे होते होंगे ये लोग!..
फिर एक रोज हमारे पड़ोस में कुमार अंकल की फ़ैमिली रहने आई. कुमार अंकल, नेवी से रिटायर हुए थे. पड़ोसी होने के नाते दोनों घरों के बीच मेलजोल बढ़ गया.. कुमार अंकल हमें समंदर के बड़े किस्से सुनाते.. वे किस्से मेरे मन से समंदर के लिए जो खारापन था, वे सब एक एक करके मिटा रहे थे. कुमार अंकल की फ़ैमिली में वो, उनकी पत्नी सुषमा, एक बेटा सुशांत और बेटी कृतिका थे. कृतिका और मैं हमउम्र थे, दोनों में बहुत बनती.. दोनों ने साथ में ग्रैजुएशन किया.. कृतिका को बैंकिंग में अपना भविष्य दिख रहा था और मुझे समंदर के खारेपन को करीब से जानना था. कृतिका को मेरे साथ समंदर के खारेपन को महसूस करना था.. सो घर से दोनों निकल लिए समंदर घूमने...
दो दिनों बाद हम दोनों अपने मुक़ाम पर खड़े हैं.. समंदर की गिरती उठती लहरें जैसे जिंदगी के उतार-चढ़ाव की कहानी कह रही है. गिरती लहरें पटखनी खाकर दोगुनी ताक़त से फिर उभर आ रही हैं.. कभी एकदम शांत हो जाता है तो कभी ऐसी हलचल कि बस क्या ही कहने! भूगोल के हिसाब से धरती पर 71 फीसदी जल है जिसमें समंदर का प्रतिशत 96.5 है.. इतनी शक्ति और अथाह क्षमता लिए समंदर के खारेपन का राज ही यही है कि वह सब अपने अंदर समेटता जाता है बिना किसी प्रतिरोध के.. और जब लौटाता है तो लोग उसे आपदा कह देते हैं..
समंदर जी! तुम खारे हो तो हो सही लेकिन तुम्हारे धैर्य की तो दाद देनी पड़ेगी ! यहां इंसानों के पास औकात से ज़्यादा क्षमता आ जाए तो वह दुनिया तहस नहस कर दे! और तुम हो कि बस तुम ही हो.. तुम पर इंसानों की बनाई मशीनें और खुद इंसान छाए रहते हैं फिर भी तुम उन्हें अपनी गोद में सह सकने की सीमा तक मनमानी करने देते हो.. तुम्हारी सीरत से इश्क़ हो गया है.. तुम्हारे खारेपने ने अब बेशुमार मोहब्बत की शक़्ल ले ली है..
* इस #प्रेमकथा में 'मैं' किरदार का नाम बीना नहीं है..

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