Yes #metoo

बचपन से लेकर  मेरे ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर तक मुझे एक्चुअली में यौन उत्पीड़न होता क्या है, नहीं पता था. हालाँकि इससे पहले कई बार मुझे मेरे आस-पास घटीं  कुछ हरकतें कुछ अटपटी लगीं, पर ऐसी हरकतें यौन उत्पीड़न कहलाती हैं,मुझे कोई आईडिया नहीं था. 12वीं तक मैं गर्ल्स कॉलेज में पढ़ी.पहली बार ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए को-एड कॉलेज में दाखिला लिया. घर से कॉलेज अक्सर ट्रेन से जाना होता था. फर्स्ट ईयर के दौरान एक दिन मैं अपनी सहेलियों और साथ में जाने वाले कॉलेज के कुछ छात्रों के साथ ट्रेन से वापस घर आ रही थी. समय यही कोई 2 या 3 बजे दोपहर का था. मेरा स्टेशन आने ही वाला था.मैं गेट पर आई तो एक 50-55 साल का व्यक्ति गेट के पास पहले से ही खड़ा था. इससे पहले वह उसी सीट पर बैठा था जहाँ मैं अपनी सहेलियों के साथ बैठी थी. लेकिन स्टेशन आने से पहले वह व्यक्ति गेट पर आकर खड़ा हो गया. जैसे ही मैं गेट पर खड़ी हुई वह पलटा और तेजी से अपना हाथ मेरे गले के निचले हिस्से पर लगभग झटकते हुए आगे बढ़ गया. मैं एकदम से शॉकेड रह गयी! समझ नहीं पाई कि अचानक हुआ क्या! लेकिन चूँकि उसका प्रहार बहुत तेज था जिससे दर्द से मैं तिलमिला कर वापस लौटी. उसे बाकि यात्रियों के सामने जोर से डांटा. मेरे साथ के सभी छात्र भी आकर खड़े हो गए. पूछा कि क्या हुआ? तब तक ट्रेन स्टेशन छोड़ चुकी थी. मैं लड़खड़ाते हुए प्लेटफॉर्म पर उतर तो गयी,पर अपने आप में नहीं थी.

एक तो गुस्सा ऊपर से दर्द दोनों ने मुझे मेरे आपे से बाहर कर दिया था. घर आकर मम्मी के गले से लगकर घंटों रोती रही. काफी देर बाद मैं उन्हें सब बता पाई. उन्होंने मुझे सम्हाला. कहा कि यही दुनिया है जिसे आजकल में बदला नहीं जा सकता है. तुम्हे अपनी हिम्मत खुद बनना होगा. ऐसी परिस्थितियों का सामना करना होगा. ऐसे कमजोर होने से काम नहीं चलेगा.

उस घटना के बारे में आज सोचती हूँ तो अंदर तक आज भी हिल जाती हूँ. आज भी कुछ ज़्यादा बदला नहीं है सिवाय इसके कि स्त्रियों की मुखरता में वृद्धि हुई है. यही वजह है कि आज पूरी दुनिया की महिलाऐं #metoo से जुड़ रही हैं. और अपने साथ घटी ऐसी घटनाओं पर खुलकर बोल पा रही है. जो नहीं बोल रही हैं उनके मुखर होने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन वो कभी नहीं बोलेंगी ऐसा कभी नहीं हो सकता है. जैसा कि मैं-
Yes #metoo

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  3. आपके साथ हुआ अनुभव दुखद और क्षोभयुक्त था । ऐसा असंख्य महिलाओं के साथ होता है और जैसा कि आपने बिलकुल ठीक लिखा है - वे चुप्पी साध जाती हैं । मैं #metoo के विषय में नहीं जानता । आपके इस ब्लॉग से ही इससे परिचित हो रहा हूँ । महिलाओं के मानवीय अधिकारों तथा मौलिक सम्मान की स्थापना एवं संरक्षण के लक्ष्य को ले कर चलने वाला ऐसा कोई भी अभियान श्लाघनीय तथा समर्थन-योग्य है । अब समय है कि सभी महिलाएं अपने साथ घटने वाली ऐसी किसी भी अशोभनीय घटना पर चुप रहना छोड़ें तथा एकजुट रूप से मुखर होकर ऐसे अपराधियों को हतोत्साहित करें । हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है । आपने यह ब्लॉग लिखकर बहुत अच्छा किया । आपकी मम्मी ने आपको ठीक ही कहा था कि अपनी हिम्मत ख़ुद बनना होगा, कमज़ोर होने से काम नहीं चलेगा ।

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