नोटोरियस पोहे का अप्रूवल
सुन भाई! वो दिखी कि नहीं? कमलेश से सुजीत से पूछा तो जवाब मिला 'नहीं यार! आने को तो बोली थी पर जाने क्यों नहीं आई'. चंचल का इंतजार करते एक घंटे से ऊपर हो गए थे. कमलेश, सुजीत और चंचल गहरे दोस्त हैं .. सुजीत और चंचल की दोस्ती में प्रेम की कोंपलें भी फूटने लगीं हैं. आज तीनों ने बसंत कार्निवाल जाने का प्लान बनाया है. जब इंतजार करते दो घंटे से ज़्यादा बीत गए तो झुंझलाते हुए सुजीत ने कमलेश से चंचल को फोन करने को कहा. सुजीत के झुंझलाहट के शोले तब और ज़्यादा भड़क गए जब पता चला कि जनाब के मित्र महोदय अपना फोन जल्दी-जल्दी में घर छोड़ आए हैं. सुजीत ने अपने फोन से ट्राय किया तो चंचल का नंबर बंद आया. अब गुस्से की जगह चिंता ने ले ली. क्या किया जाए, चंचल के घर जा भी नहीं सकते, नहीं तो आन्टी जी के नोटोरियस पोहे खाने पड़ेंगे! और दुनिया भर के सवाल-जवाब में उलझा देंगी सो अलग.. क्या किया जाय - क्या किया जाय.. खैर, चंचल की चिंता आंटी जी के पोहों पर हावी हो गई.. दोनों चंचल के घर पहुंचे तो देखते हैं कि बाहर लॉन में बसंत छाया हुआ है. वहां मौजूद सभी लोग सरसों के फूल हुए पड़े हैं. सजावट में ...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें