तुम्हारे इयरफोन तक पहुंचने की ख्वाहिश
छुप-छुप कर से देख रही हूँ तुम्हें.. पिछले कई दिनों से... वो जो तुम कान में ठूंठ घुसेड़ कर मटकते हुए चलते हो ना, उस मटकाऊ गाने का राज जानने को बेताब हूँ. चाहती हूँ कि उसमें से एक ठूंठ तुम मेरे कान में लगाओ और दूसरा अपने कान में.. फिर दुनिया जहान को भूलकर, लाज शरम परे रखकर दोनों साथ-साथ थिरकें. वैसे कौन सा गाना सुनते हो जी जो इतनी लय में रहते हो? साफ-साफ बताए देते हूँ, घुमा फिराकर बात करनी आती नहीं ना मुझे..सो मुझे हिन्दी गाने ही समझ आते हैं. जबकि तुम्हारी मटकानी चाल देखकर लगता है कि तुम hip-hop ही सुनते हो. तुम्हारी पसंद को कई दफे सुनकर समझना चाहा, झूठ मूठ की मटकी भी, लेकिन मजा नहीं आया. वो तड़क भड़क वाले आंवा जांवा वाले गाने पल्ले ही नहीं पड़ते, क्या करूँ! उस रोज जब तुम कान में ठूंठ लगाए बाइक से चौक की दूसरी गली मे गए थे ना, मैं वहीं अपनी ड्रेस खरीदने गई थी. तुमने रेड कलर के चेक वाली शर्ट पहनी थी, कमाल लग रहे थे, सच में! मैं बसंत पंचमी के लिए पीले रंग की ड्रेस लेने गई थी. लेकिन तुम्हें देखकर रेड कलर की ड्रेस ले बैठी. अगली बार जब तुम वही शर्ट पहनोगे ना, मैं भी रेड ड्रेस पहनू