हरी बत्ती का लॉक-डाउन

"लगभग 1 हफ्ते और 23 घंटे बीत चुके हैं. चिड़चिड़ सी हो रही है. दिल यह सोच-सोच कर बैठा जा रहा है कि आखिर क्या हुआ होगा उसके साथ! वह ठीक तो होगी ना? उसके घर में कहीं कुछ... उफ्फ, नहीं, नहीं! अच्छा-अच्छा सोच यार, सब ठीक होगा, हाँ! यक़ीनन, सब ठीक है. लेकिन वह इतने दिनों से दिखी क्यों नहीं? इधर कोई परीक्षा भी नहीं है कि पढ़ाई-शढ़ाई कर रही हो. तो फिर इतने दिनों से ऑनलाइन क्यों नहीं आई? काश! कहीं से कोई कॉन्टैक्ट नंबर या ईमेल या उसके जान-पहचान का कोई मिल जाता तो मै उसकी हाल खबर ले सकता. ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि वह इतने दिनों तक ऑफ लाइन रही हो. कहीं मेरी वजह से तो नहीं! क्या जरूरत थी मुझे यार, उसे ऐसे डायरेक्ट प्रपोज करने की! थोड़ा सा भी पेशेंश नहीं है मुझमे कि उसका यकीन जीतने तक का इंतजार करता.."
प्रारब्ध मन में इतनी सारी उथल-पुथल लिए लगातार फ़ेसबुक को रिफ्रेश किए जा रहा था. इस उम्मीद में कि शायद अब सृष्टि ऑनलाइन दिखे और उसका हरी बत्ती का लॉक डाउन समाप्त हो.
प्रारब्ध और सृष्टि पिछले दो-ढाई साल से फ़ेसबुक फ्रेंड हैं. कभी कभार दोनों के बीच इनबॉक्स में हल्की फुल्की बात हो जाया करती थी. इधर एक महीने से दोनों में बातचीत बढ़ गई थी. प्रारब्ध को सृष्टि पहली बार में ही अच्छी लगी थी, उसकी टाइमलाइन पर प्रारब्ध ने ऐसा कुछ नहीं देखा था जिस पर किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हो. प्रारब्ध को लगने लगा था कि उसकी सोच सृष्टि से मैच करती है तो शायद दोनों एक दूसरे की जिंदगी में भी बढ़िया मैचिंग साबित हों. लगभग एक हफ्ते पहले बातों ही बातों में प्रारब्ध ने अपने दिल की बात सृष्टि के सामने जाहिर कर दी. उसके अगले दिन से सृष्टि ऑनलाइन नहीं आई. प्रारब्ध इसी चिंता में घुला जा रहा है कि क्या सृष्टि को उसकी बात बुरी लगी; क्या अब सृष्टि उससे कभी बात नहीं करेगी! प्रारब्ध इसी उलझन में कई बार मैसेज कर उससे माफी मांग चुका है लेकिन सृष्टि ऑनलाइन आई ही नहीं तो उसका मैसेज देखे कैसे!
इसी उधेड़बुन में लगभग 6 महीने बीत गए. प्रारब्ध ने एक दिन सकुचाते हुए एक म्यूचुअल फ्रेंड से सृष्टि के बारे में पूछा तो पता चला कि सृष्टि पिछले 6 महीनों से इन्टरनेट लॉक डाउन के साये में है. प्रारब्ध ने सवाल किया कि यह तो कश्मीर में है जबकि सृष्टि की टाईम लाइन के हिसाब से तो वह जबलपुर में रहती है? उधर से जवाब आया कि सृष्टि कश्मीर से है, चूंकि कश्मीर को लेकर शेष भारत में तमाम अफवाहें और गलतफहमियां हैं इसलिए उसने लिव्स इन में जबलपुर का नाम लिखा है..
प्रारब्ध अब रोज सृष्टि की सलामती की दुआ करता है और इस उम्मीद में है कि कभी तो सृष्टि वापस आएगी, कभी तो कश्मीर की सुबह वापस आएगी.. कभी तो इन अफवाहों और नफ़रतों का दौर खतम होगा. कभी तो #हरीबत्तीकालॉकडाउन खतम होगा..

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