लौटा है प्यार

सिर्फ एक खूबसूरत फूल नहीं, अचूक औषधि‍ ...

नीलम ने दिन भर के काम के बाद थक कर घर आते ही देखा, सामने दीवार पर टंगी घड़ी हल्की सी तिरछी हो गई है और उसके पास टंगी पेंटिंग के पीछे छिपकली पूंछ हिलाती अपने कारनामे का बखान कर रही है.. काम की फ्रस्ट्रेशन हाथ पर आ टिकी और हाथ की फाइल पेंटिंग पर दे मारी. लेकिन चिरकुट छिपकली पर कोई आंच नहीं आई, वह दनदनाती फिर से घड़ी के पीछे जा छिपी. चिड़चिड़ करती नीलम ने फिर फाइल वाला फार्मूला घड़ी पर ट्राय करना चाहा लेकिन नुकसान के आभास ने उसके हाथों को ऐसा करने से रोक दिया.

प्यास लगी है और घर में कोई पानी देने वाला भी नहीं, हम्मह्! ये भी कोई जिंदगी है? जहां घर लौटने पर कोई बात तक करने वाला न हो! दिन भर की ग्रह दशा किसे सुनाऊँ? किससे पता चले कि पड़ोस के घर की लड़की का अफेयर उसके पड़ोस वाले वर्मा जी के बेटे से चल रहा है? किससे पता चले कि वर्मा अंकल खुद किसी ज़माने में अपनी सोसाइटी के रांझणा हुआ करते थे?
खैर अब खुद ही मटके से पानी उड़ेला और एक साँस में गटक गई.. नीलम पिछले 6 साल से दिल्ली में अकेली रह रही है. कॉलेज की पढ़ाई के बाद प्यार में जब दिल टूटा तो खुद को बिजी रखने और अपनी रोनी सूरत घर वालों से छुपाने की गरज से वह घर छोड़ दिल्ली चली आई थी. उसने सुना था कि दिल्ली में किसी के पास किसी की निजी जिंदगी में झांकने का वक़्त नहीं होता, सो अपनी निजता बचाने के फ़ेर में उसने घर से दूर अकेले रहने का मन बना लिया था. घर से कई बार फोन आए जिसमें शादी के लिए आए रिश्तों और माँ बाप की अपनी जिम्मेदारियों से उऋण होने की गुहार होती थी.. लेकिन ये गुहार नीलम के टूटे दिल पर नमक सरीखे लगते सो वह उन्हें अनसुना करती रही..
आज घर लौटी तो जो घड़ी उसे तिरछी दिखाई दी थी, वह घड़ी विनय ने उसे तोहफे में दिया था. इस घड़ी में दोनों की युगल तस्वीर थी जिसे टेढ़ा हुआ देखकर वह बौखला गई. ये अलग बात है कि वह हद से ज्यादा चिड़चिड़ी हो भी गई है. अब इसे टूटे दिल का कसूर कहें या जीवन में प्रेम का अभाव, उसे किसी के प्रणय निवेदन पर भरोसा ही नहीं होता..
पिछले 5 साल से उसका दोस्त उसे लगातार प्रपोज किए जा रहा है, वह उसे भी अनसुना करती जा रही है.. लेकिन कहते हैं ना, 'रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान'! बीते एक हफ्ते से वह एक वीडियो कॉल को रिसीव नहीं कर रही. दोस्त लगातार कॉल किए जा रहा है, फिर भी नहीं उठा रही. पर आज शायद उसका दुर्ग प्रेम की चोट से ढहा है.. आज उसने दिल खोल कर बात की. सारे गिले शिकवे बता डाले. उधर से वह चुपचाप सुनता रहा और आखिर में बोला 'I Love You'!
नीलम चुप हो गई लेकिन उसके कानों में पड़े इस शब्द ने उसकी सूखी पड़ी दिल की बगिया को सावन की फुहार की मानिन्द भिगो दिया. लगता है, आज नीलम के जीवन में प्रेम लौट आया है. उसका मन प्रेम सागर में हिलोरें ले रहा है. इतने में दूर कहीं से एक गाने की धुन सुनाई देती है 'तुम आए तो आई मुझे याद, गली में आज चाँद निकला'...

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