Freedom Of Bleeding

गुजरात मॉडल जिसे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के उस बयान के साथ पढ़ा जाना चाहिए जिसमे सबरीमाला मंदिर में रजस्वला स्त्रियों के प्रवेश पर कहा था कि क्या सेनेटरी नैपकिन के साथ भगवान/दोस्त के घर पर जाना सही है? उस वक़्त स्मृति जी गुजरात से राज्यसभा सांसद थीं। वही गुजरात जिसके भुज में एक कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों के अंडरवियर उतरवाकर उसमे रजस्वला के रक्त जांचे गए जिससे पता चले कि पीरियड होने की स्थिति में किसने रसोई और मंदिर में प्रवेश करने की हिमाकत की! वही देश जिसके प्रधानमंत्री ने बढ़ चढ़ कर 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान का ड्रामा किया उसी प्रधानमंत्री के गृह राज्य में लड़कियों की अंडरवियर का खून चेक किया गया।
जी वही अंडरवियर जिसके खाकी कह भर देने से बीजेपी की एक लोकसभा प्रत्याशी ने रामपुर में रो-रोकर संवेदनाएं हासिल करने की कोशिश की थी, हालाँकि नाकाम रहीं थीं।
वही देश जहाँ 'कामाख्या देवी' के रक्तरंजित कपड़ों को सिर माथे लगाने का पाखंड रचा जाता है। यह वही देश है जहाँ सेनेटरी पैड पर बनी फिल्म 'पैडमैन' करोड़ों का बिजनेस करती है, लेकिन दुकान पर आज भी सेनेटरी पैड खरीदने पहुंचो तो पुरुष दुकानदार काली पन्नी में लपेट कर देने की पहल खुद करता है। अजीब है यह दोहरी मानसिकता! जिसमे सब खुला है फिर भी उस पर पर्देदारी का ढोंग है।
इस पोस्ट में एक प्रगतिशील महिला की पिछड़ी मानसिकता है, ब्रा की स्ट्रिप ढंकने को ताकीद करता वह समाज है जो स्कूल कॉलेज में अपनी लड़कियों की अंडरवियर चेक कर लेता है। अंडरवियर का रंग बताने पर राजनीतिक विलाप भी है। इसमें मंदिर/रसोई में रजस्वला महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है, लेकिन 'कामाख्या देवी' के रक्त से सने कपड़ों पर आस्था है। सैनिटरी पैड पर बनी फिल्म का करोड़ों का बिजनेस है तो सेनेटरी पैड को ही काली पन्नी में लपेट कर देने की सामान्य मानसिकता है। जहाँ सैनिटरी पैड को दुकान से खरीदने के लिए अतिरिक्त बेशरमी जुटाने की आवश्यकता पड़ती है।
कमाल करते हो और शर्मिंदा भी नहीं होते हो, है ना?

टिप्पणियाँ

  1. स्मृति जी को स्वयं पता नहीं था कि वे क्या कह रही हैं और जो कह रही हैं, वह एक (विवेकशील) स्त्री को तो कम-से-कम नहीं कहना चाहिए। आपके विचार सही हैं बस ऐसा लगता है कि एक-एक बात को दो-दो बार कहा गया है।

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