बीमार बीएसएनएल को जल्दी बचाओ सरकार!


7 नवंबर को केरल के मलप्पुरम जिले से एक खबर आई, चूँकि वह सरकार की तारीफ नहीं बल्कि नाकामी की खबर थी, इसलिए देश के अख़बारों और प्रमुख न्यूज़ चैनलों की हैडलाइन नहीं बन सकी। यह खबर थी, सरकार द्वारा संचालित बीएसएनएल के चतुर्थ श्रेणी के संविदा कर्मी रामकृष्णन के 10 महीनों से मानदेय न मिलने की वजह से परेशान होकर दफ्तर में ही फांसी लगाकर ख़ुदकुशी करने कर लेने की। यूनियन नेताओं का कहना था कि संविदा कर्मचारियों को पिछले 10 महीनों से मानदेय नहीं मिला है और वे पिछले 24 जून से, सीटू से संबद्ध बीएसएनएल कैजुअल कॉन्ट्रैक्ट लेबर यूनियन (CCLU) के तहत कर्मचारी लंबित वेतन के भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन पर हैं।
इससे पहले 23 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड यानी एमटीएनएल का विलय करने कि घोषणा की। इस घोषणा में कहा गया कि घाटे में चल रही दो दूरसंचार कंपनियों को फिर से ढर्रे पर लाने के लिए 69,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज दिया जाएगा। इसी घोषणा में कहा गया कि कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का प्रस्ताव है। इस सबके बीच नवीनतम अपडेट के अनुसार बीएसएनएल और एमटीएनएल के 60,000 से अधिक कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिये आवेदन कर चुके हैं। जिसमे अकेले बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 57,000 से अधिक है।
सरकार बहादुर ने राहत पैकेज और वीआरएस और एमटीएनएल के साथ विलय के जरिये जिस तरह बीएसएनएल संकट का हल तलाशने की कोशिश की, हो सकता है उसका दूरगामी परिणाम नज़र आये लेकिन फिलवक़्त के लिए ये राहत रामकृष्णन जैसे संविदा कर्मियों के गले की फ़ांस बनी हुई है।
बीएसएनएल की लगभग एक लाख नौकरियां संकट में हैं क्योंकि उसने 20,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि को जारी नहीं किया है। नरेंद्र मोदी सरकार के हाईफाई हस्तक्षेप के बावजूद बीएसएनएल को अपने कर्मचारियों को बनाये रखना मुश्किल हो रहा है जहाँ अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि उनकी नौकरी में कटौती का विचार है। इस कदम से प्रत्येक दो कर्मचारियों में से एक की नौकरी जा सकती है।

बीएसएनएल पर क्यों आया यह संकट ?
असल में रिलायंस जियो के बाज़ार में आने के बाद से पूरा परिदृश्य बदल गया जिसने सबसे पहले बीएसएनएल की हालत ख़राब की। अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में, बीएसएनएल सेवाओं और तकनीकी प्रगति के मामले में पिछड़ गया है। एक ऐसे युग में जहां हर कोई 5 जी नेटवर्क की तैयारी कर रहा है, बीएसएनएल देश भर में अपने 4 जी नेटवर्क का परीक्षण कर रहा है।
दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी की ख़राब नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर में नयापन लाने में देरी के कारण बीएसएनएल पिछले 10 सालों से मुश्किल में है। न्यून आधारिक संरचना व कंपनी की संरचना के चलते स्थिति बद से बदतर होती चली गई। हालत इतनी ख़राब हो गई कि दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को और अधिक ऋण लेने के लिए बैंकों में न जाने के लिए कहा है।

क्या बचा है बीएसएनएल के पास?
एकमात्र राष्ट्रीय दूरसंचार ऑपरेटर के रूप में, बीएसएनएल न केवल देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें देश का सबसे बड़ा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (ओएफसी) भी है। संचार निगम एक्जीक्यूटिव्स एसोसिएशन (एसएनईए) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बीएसएनएल के पास 7.5 लाख किलोमीटर लंबा ऑप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क है, जो पूरे देश में फैला हुआ है, इसके बाद मुकेश अंबानी के जियो टेलीकॉम का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क लगभग 3.25 लाख किलोमीटर लंबा है। जिसके बाद ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क कवरेज में एयरटेल (2.5 लाख किलोमीटर) और वोडाफोन आइडिया (1.6 लाख किलोमीटर) का क्रमशः तीसरा और चौथा नंबर है।
बीएसएनएल के पास देश भर में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। इसमें मोदी सरकार द्वारा जारी राहत बीएसएनएल की भूमि और संपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से अगले चार वर्षों में 38,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करना शामिल है।

कैसे टक्कर दे रहा है रिलायंस Jio?
लगभग तीन साल पहले रिलायंस Jio ने जब बाजार में प्रवेश किया तब टेलीकॉम सेक्टर में एक दर्जन से ज़्यादा ऑपरेटर एक सवा करोड़ की आबादी के बीच अपनी जगह बनाने के लिए जूझ रहे थे। Jio के आते ही टैरिफ वॉर शुरू हुआ जिसने कई ऑपरेटरों को बाजार से बाहर कर दिया। सरकार द्वारा संचालित बीएसएनएल जहाँ सबसे ज़्यादा संसाधन होने के बावजूद तंगहाली से जूझ रहा है वहीं आज Jio को टक्कर देने के लिए सिर्फ दो अन्य प्राइवेट ऑपरेटर, भारती एयरटेल और वोडाफोन आईडिया बचे हैं।
अब Jio वोडाफोन आईडिया के बाद सब्सक्राइबर बेस के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है जबकि भारती एयरटेल तीसरे स्थान पर है।
ग्राहक आधार के मामले में देखा जाए तो शीर्ष पर काबिज वोडाफोन आइडिया को जून तिमाही में 4,874 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जबकि Jio ने 891 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। यहाँ यह बात गौरतलब है कि वोडाफोन आइडिया एक विलय प्रक्रिया में है। कंपनी का मानना ​​है कि वह अपनी बताई गई रणनीति पर काम कर रही है, हालांकि नतीजे में लाभ अभी तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं एयरटेल का राजस्व 30 सितंबर को समाप्त तीन महीनों में 10,811 करोड़ रुपये था, जो जून तिमाही में 10,724 करोड़ रुपये था। सितंबर तिमाही में इसका उसका सब्सक्राइबर बेस 276.81 मिलियन से बढ़कर 279.43 मिलियन हो गया।
राजस्व मामले में अधिक ग्राहकों के बावजूद, वोडाफोन आइडिया को 11,269.9 करोड़ का राजस्व मिला जबकि जून तिमाही में Jio ने 11,679 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया।
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस जियो ने अगस्त में 8.44 मिलियन मोबाइल फोन ग्राहकों को जोड़ा, जबकि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपने ग्राहक आधार पर नुकसान उठाना पड़ा। अगस्त में वोडाफोन आइडिया ने 4.95 मिलियन ग्राहक गँवा दिए जबकि भारती एयरटेल ने 0.56 मिलियन ग्राहक खोए। अब, Jio का कुल ग्राहक आधार 348.2 मिलियन, वोडाफोन आइडिया 375 मिलियन और एयरटेल 327.9 मिलियन है।
31 अगस्त तक, निजी टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के पास बाजार में वायरलेस ग्राहकों की हिस्सेदारी 89.78 प्रतिशत थी, जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल की बाजार हिस्सेदारी केवल 10.22 प्रतिशत थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कैसे ठोंकी कील?
Jio से टक्कर लेते हुए खस्ताहाल में पहुंचे वोडाफोन-आईडिया और भारती एयरटेल को सुप्रीम कोर्ट से तब बड़ा झटका मिला जब बीते 24 अक्टूबर में अदालत ने एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने पड़ सकते हैं। हालांकि, ये रकम 92 हजार करोड़ रुपये है. लेकिन ब्याज और अन्य चीजों को मिलाकर यह रकम 1.33 लाख करोड़ रुपये है. अब टेलीकॉम कंपनियों ने छह महीने का समय मांगा है।
बता दें कि AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेनुए के तहत टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयरिंग करती हैंं. ऐसे में कमजोर बैलेंस शीट के कारण भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगी जिसका लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के साथ क्रमशः 41,000 करोड़ रुपये और 39,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

क्या है चुनौतियाँ
एक तरफ जहाँ Jio के सस्ते टैरिफ दरों ने बीएसएनएल सहित वोडाफोन-आईडिया और भारती एयरटेल की हालत ख़राब कर रखी है वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी टेलीकॉम ऑपरेटरों को तगड़ा झटका लगा है। इन पर सरकार को बकाया अदा करने का दबाव और अपना ग्राहक आधार बनाने की कवायद के लिए सस्ते टैरिफ दरों का निर्धारण करने का दबाव है। दूसरी तरफ 2020 में Jio 5G लांच करने की तैयारी में है ।
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने नोकिया, एरिक्सन और हुआवेई के साथ 5G परीक्षणों में भाग लेने के लिए आवेदन किया है और स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार कर रहे हैं। परीक्षण उन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से है जिन्हें सरकार अपने पहले 100 दिनों में शुरू करना चाहती थी। 5 जी एयरवेव सहित अगले स्पेक्ट्रम की नीलामी मार्च 2020 तक होने वाली है। वहीं बीएसएनएल अभी भी 2G और 3G के प्रारूप में काम कर रहा है, जिससे बड़ी आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीएसएनएल बाजार में अभी कितना कमजोर और त्वरित रूप से कितना असहाय है!

बात राहत की
इन सबके बीच जो बात थोड़ी राहत देती है वह यह कि प्रधान मंत्री मोदी की फ्लैगशिप योजना - BharatNet - का लगभग 90% काम बीएसएनएल द्वारा निष्पादित किया जाता है। BharatNet भारत सरकार की एक पहल है जो देश के लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को 100 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करती है। इसका लक्ष्य भारत के सभी घरों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 2 से 20 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। यह ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़ने वाली दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण संपर्क योजना है। BharatNet डिजिटल इंडिया पहल का मुख्य स्तंभ है।
इसे मूल रूप से 2011 में राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) के रूप में शुरू किया गया था। 2015 में इसका नाम बदलकर BharatNet कर दिया गया था। यह परियोजना दूरसंचार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्यान्वित की जा रही है। इस परियोजना को डिजिटल इंडिया पहल की सफलता के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

आखिर में
जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि बीएसएनएल का एमटीएनएल के साथ विलय, राहत पैकेज और अब BharatNet जैसी परियोजनाओं के जरिये उद्धार करने की प्रक्रिया का परिणाम दूरगामी होगा, लेकिन अभी जरुरत है त्वरित राहत की। यह राहत 10 महीने से मानदेय न मिलने से परेशान रामकृष्णनन जैसे संविदा कर्मचारियों की जान बचा सकती है। कुछ तो करो सरकार!

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