मई डे यानी मजदूर दिवस : कितना मौजूं मजदूर दिवस ..?
1 मई यानी मजदूर दिवस.. दुनिया भर में विकास की गति जिन दो ध्रुवों पर पर केंद्रित हैं वे हैं मालिक व कर्मचारी. मालिक वो जो किसी उद्यम में अपना दिमाग और धन लगते हैं और कर्मचारी वो जो मालिक के इस विचार को अमलीजामा पहनाते हैं. बदले में कर्मचारी को मालिक की तरफ से एक धनराशि दी जाती है. पढ़ने, देखने और सुनने में ये जितना सरल महसूस हो रहा है इसके उलट यह उतना ही जटिल है. मालिक यानी पूंजीपति अधिक लाभ के फेर में अपने कर्मचारी जिसे मजदूर भी कहा जाता है, से मनमाने तौर पर काम लेता है और बदले में अपर्याप्त यानी योग्यता व कार्य के से कहीं ज़्यादा कम राशि देता है. अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के पीछे यह उद्देश्य था कि कम से कम एक दिन तो मजदूरों की समस्याओं और उनकी महत्त्ता के बारे में दुनिया भर को अवगत करवाया जाए.
लेकिन बढ़ती जरूरतों और आगे बढ़ने की होड़ के बीच मजदूर दिवस का यह उद्देश्य धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा है. आज नव उदारवाद युग में जबकि विकास की पूरी प्रक्रिया कॉर्पोरेट ने अपने हाथों में ले लिया है,ऐसे दौर में कॉर्पोरेट में काम करने वाले कर्मचारियों की नैसर्गिक आवश्यकताओं को पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है. कॉर्पोरेट सेक्टर में 4-6 घंटे की नींद भी मयस्सर नहीं हो रही है. टारगेट पूरा करने की टेंशन इतनी ज़्यादा है कि कॉर्पोरेट कर्मचारी हाइपर टेंशन और शुगर जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. एसोचैम हेल्थ केयर की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों को ऐसे मुश्किल टारगेट दिए जाते हैं कि जिसे पूरा करने की टेंशन में वो ठीक से सो भी नहीं पाते हैं. जिसकी वजह से उन्हें थकान, बेचैनी और मनोवैज्ञानिक दबाव झेलना पड़ता है. इसका असर कर्मचारियों के काम पर भी पड़ता है. नींद की कमी से से कर्मचारी की उत्पादकता घटती है जिससे सालाना लाखों करोड़ रुपयों का नुकसान भी होता है.
तनाव की वजहों में बेहतर काम करने का दबाव, सहकर्मियों से मिलने वाली तगड़ी प्रतिस्पर्धा और बॉस का बेहद सख्त होना आदि शामिल हैं कुछ बड़ी चुनौतियां शामिल हैं.
मैं आपके विचारों से सहमत हूँ बीना जी । मैं स्वयं भुक्तभोगी रहा हूँ और कर्तव्यनिष्ठ तथा नौकरी हेतु विवश कर्मचारियों की इन समस्याओं से मेरा अपना साक्षात्कार हुआ है । हाँ, कामचोर कर्मचारी भी लगभग सभी संगठनों में होते हैं और प्रायः वे उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध बनाकर प्रत्येक प्रकार का लाभ बिना काम किए ही लेते रहते हैं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद माथुर जी, आपने इसे पढ़ा और अपनी राय दी.. शुक्रिया
जवाब देंहटाएं